Details, Fiction and sidh kunjika
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श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तर शतनामावलिः
मां भगवती के इस पाठ को करने की विधि है उसका पालन जरूर करें. आइए जानते हैं सिद्ध कुंजिका पाठ की विधि और लाभ.
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।
देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥
न कवचं नार्गला-स्तोत्रं, कीलकं न रहस्यकम्।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
श्री मनसा देवी स्तोत्रम् (महेंद्र कृतम्)
देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्
On chanting generally speaking, Swamiji claims, “The greater we recite, the greater we hear, and the greater we attune ourselves to the vibration of what is sidh kunjika becoming mentioned, then the more We are going to inculcate that Mind-set. Our intention amplifies the Mind-set.”
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।। । इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम् ।